डॉ. कैलाश द्विवेदी (नेचुरोपैथ)

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Monday, December 4, 2017

शरीर का सूक्ष्मतम रूप कोशिका (Cell) – 1

कोशिका शरीर का सूक्ष्मतम रूप है, यह एक ऐसी रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है जो स्वतंत्र रूप से जीवन की क्रियाओं को संचालित करने की क्षमता रखती है | इन्ही असंख्य कोशिकाओं से मिलकर बना है मानव शरीर | इनका आकार शरीर के अंगों के अनुसार भिन्न हो सकता है परन्तु मूलभूत संरचना समान रहती है | कोशिका की रचना के अंतर्गत कई सम्मिलित अंग हैं, कोशिका ( Cell ) इन्ही अंगों (Bodies) का सामूहिक स्वरुप है |

कोशिका की संरचना   Structure of cell  :


प्रत्येक कोशिका के तीन भाग होते हैं –
  1. कोशिका कला (Cell membrane)
  2. कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) :
  3. केन्द्रक (Nucleus) :

1. कोशिका कला (Cell membrane) : 

कोशिका कला एक पतली झिल्ली की भांति होती है जो कोशिका की सबसे बाहरी परत को बनाती है इसे प्लाज्मा मेम्ब्रेन भी कहा जाता है | यह झिल्ली वसा (Lipid) , प्रोटीन एवं लवण की दो परतों से युक्त होती है |कोशिका कला की उत्पत्ति कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) से होती है | कोशिका कला ही दो कोशिकाओं को एक-दूसरे से अलग करती है परन्तु यह इतनी सूक्ष्म होती है कि दो कोशिकाओं के मध्य केवल एक भित्ति ही दिखाई देती है | यह पारदर्शी एवं अर्द्धपारगम्य (Semi permeable) होती है |

कोशिका कला के कार्य :

  • बाह्य उत्तेजनाओं को ग्रहण करना |
  • कोशिका की आंतरिक संरचना की रक्षा करना |
  • कोशिका द्वारा रक्त से पोषण एवं आक्सीजन ग्रहण करने एवं कार्बनडाई आक्साईड व विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में पूर्ण सहयोग प्रदान करना |
  • कोशिका में आने व जाने वाले पदार्थ जैसे – जल, ग्लूकोज, आक्सीजन, कार्बनडाई आक्साईड आदि पर कोशिका कला का पूर्ण नियंत्रण रहता है |
  • जीवद्रव्य की रासायनिक संरचना को बनाये रखने में सहायक है |

2. कोशिकाद्रव्य  (Cytoplasm) :

कोशिका के अन्दर केन्द्रक (Nucleus) के अतिरिक्त अन्य सम्पूर्ण भाग को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं | यह कोशिका के जीवन का आधार है |
कोशिका की सभी जैविक क्रियाएं – श्वसन, वृद्धि, गतिशीलता, पाचन, उत्सर्जन, चापपचय, उत्तेजनशीलता एवं प्रजनन आदि साईटोप्लाज्म पर ही निर्भर करती हैं | कोशिका को जीवित रखने के लिए कोशिकद्रव्य में तीव्र गति से अनेक रासायनिक क्रियाएं होती हैं | मनुष्य के जीवित अवस्था में कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) की रचना देखना असंभव है | यदि इसका विश्लेषण करने का प्रयत्न किया जाये तो इसमें रासायनिक परिवर्तन होकर यह नष्ट हो जाता है | कोशिकद्रव्य के नष्ट होने से समस्त जैविक क्रियाएं रुक जाती हैं परिणामस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है |कोशिकद्रव्य अपनी दशा परिवर्तित करने की क्षमता रखता है यही कारण है कि इसकी रचना के विषय में वैज्ञानिकों में मतभिन्नता है | अधिकांश वैज्ञानिकों ने कोशिकद्रव्य की रचना जालयुक्त बताई है | जीव वैज्ञानिकों के अनुसार कोशिकद्रव्य में सूत्रों का जाल फैला रहता है, जिससे कोष्ठों (Vacuoles) के भीतर एक स्वच्छ समांशी पदार्थ भरा होता है | जाल की रचना करने वाला पदार्थ जालकद्रव्य (Spongiplasm) तथा कोष्ठों में पाया जाने वाला पदार्थ स्वच्छद्रव्य (Hyaloplasm) कहलाता है | इसके सूक्ष्म कण (Tiny particles) बराबर ब्राउनियन (Brawnian movement) गति से गतिमान रहते हैं |
साईटोप्लाज्म में कार्बनिक पदार्थ (Organic matters)– प्रोटीन,घुलनशील कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज,माल्टोज,सुक्रोज आदि),  अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट स्टार्च ( ग्लाइकोजन व सेल्युलोज) एवं वसा भी होती है | अकार्बनिक पदार्थ – (Inorganic matters) (कैल्शियम,फास्फेट,क्लोराइड,सोडीयम,पोटैशियम) पाए जाते हैं | इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के विटमिन एवं एंजाइम भी होते हैं |
यह सभी पदार्थ साईटोप्लाज्म के अजीवित अंग हैं जिन्हें निर्जिवास द्रव्य (Cytoplasmic inclusions) कहा जाता है |

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